चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है…” इंतज़ार करते करते एक और शाम बीत जाएगी !! वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है, मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं मेरा कौन है ये सोचने https://youtu.be/Lug0ffByUck